प्रिय...... प्रेमाचे दोन अश्रू. मी तुला सदर पत्र लिहीत आहे याच आश्चर्य वाटत असेल कदाचीत ! नाही? पण खरोखरच तुझ्या स्मृती आज वेदनेची ओल...
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परिवर्तन
-- जिंदगीके अंधेरोंमे जब-- मै टूटतासा जाता हूं अपनी थकानसे तब-- यह मायावी दुनिया दलदलसी लगती है । और मै-- उसमें बिलबिलाता एक कीडा़ ...
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गीत
दर्पण भी टूट्ना सीखा मेरे हृदय की दरारोंसे । खुशीयोंको कहां छिपाऊं ? कलियोंमे या सुमनोंमे आंसूओंको कहां छिपाऊ ? सरिता में या झरनोंम...
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जन्मदिन अभिलेख २
ओ! 'उषा ' रम्य रमणिक की, तुम प्रथम अनुपम कली । बन प्रतीक्षा की पर्यायी, 'अशोक' दर आकर ढली। रजनीके सिंगार में तेरी, जी...
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जन्मदिन अभिलेख १
हे उषा देवीके चंचल कलीके, युग्म के ललाट की पहली रेखा दे रहा हूं बधाई सानन्द, जन्मदिन की अभिलेखा 'प्रतीक्षा' केवल प्रतीक्षा ...
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भ्रमंती
जीवन सफ़रमें दो पंछी बेसहारा उडते जाते जीवन की चित्रांकित रेखाओने बना दिये उनके दो घर एक उषा के नाम एक निशा के नाम और मैं-...
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